V.S Awasthi

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प्रेम गीत




प्रेम गीत
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चले गए साजन तुम घर से ले गए सुंदर मुस्कान हमारी।
मन का भी उल्लास ले गए मैं उदास बैठी बेचारी।।
तुम बिन साजन अब मुझको मधुमास बेगाना लगता है।
जल्दी लौट कर आओ साजन घर भी अनजाना लगता है।।

चहुं ओर बसन्त बयार चल रही तरुवर में व्याकुलता आई है।
पतझड़ भी हो रहा हर तरफ़ खर खर की आवाज आई है।।
कोयल की भी आवाज सुरीली कानों को नहीं सुहाती है।
दिल से मेरे एक हूक उठ रही जब याद तुम्हारी आती है।।

घर में हैं पकवान बहुत पर सब फीके-फीके से लगते हैं।
चले गए साजन तुम जब से बिस्तर कांटों से चुभते हैं।।
नहीं रहा मधुमास यहां अब उपवन भी सूना लगता है।
जब याद तुम्हारी आती है नयनों से झरना बहता है।।

अब दिन लगते वर्षों समान और रात युगों सी लगती है।
समय नहीं काटे कटता हर घड़ी काटने लगती है।।
घड़ी जब टिक-टिक करती है तो याद तुम्हारी आ जाती।
लगता तुम आने वाले हो आने की खबर सुना जाती।।

अब ना देर लगाओ साजन शीघ्र पास तुम आ जाओ।
दिल की बगिया जो सूख गई उसको फिर से महका जाओ।।
मैं तुमको आलिंगन कर लूं बाहुपास में बंध जाओ।
दूर कभी ना जाना साजन मेरे दिल में ही बस जाओ।।

साजन तुम पास में जब आना मुस्कान हमारी ले आना।
मेरी आकिंचन बगिया में मुस्कान के बीज भी बो जाना।।
जब तुम आ जाओगे साजन दिल बाग-बाग हो जायेगा।
मेरे तेरे प्यार का एक फिर से पुष्प खिल जायेगा।।

ये सजनी तेरा जीवन भर अहसान भूल ना पायेगी।
जब तक तन में सांस रहे यादों में तेरी मुस्कायेगी।।
अब ना देर करो प्रियतम मेरी सांसों में घुल जाओ।
तुम पास रहो हरदम मेरे मुस्कान अधर में दे जाओ।।

विद्या शंकर अवस्थी पथिक कानपुर

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4 Comments

Renu

02-May-2022 03:45 PM

👍👍

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Punam verma

02-May-2022 07:46 AM

Nice

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Gunjan Kamal

02-May-2022 02:10 AM

बहुत सुंदर प्रस्तुति 👌

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